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आलापुर (अम्बेडकर नगर) तहसील क्षेत्र आलापुर अंतर्गत घाघरा नदी के तटीय गाँवो के किसान बाढ़' के बाद अब 'सांडो'जंगली सूअरो व आवारा पशुओं से बर्बाद हो रही फसल के के कारण अपनी दुर्दशा पर आँसू बहाने पर मजबूर हैं। मालूम हो बाढ़ से बर्बाद धान और गन्ने की फसल के बादअब गेहूं और सरसों की फसलों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं माझा क्षेत्र में जंगली सूअर और आवारा पशुओं के आतंक से घाघरा नदी के तटीय इलाकों के लगभग आधा दर्जन गांवों में गेहूँ और सरसो की फसलों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। सैकड़ों एकड़ फसल बाढ़ के पानी में नष्ट होने के बाद अब किसान छुट्टा पशुओं और जंगली सूअर के आतंक से त्रस्त हैं। किसानों की सैकडों एकड़ गेंहू और सरसों की फसल झुंड के झुंड घूम रहे छुट्टा पशुओं की भेंट चढ़ जा रही है छुट्टा पशुओं के आलावा जंगली सूअर भी फसलों को बुरी तरह नुकसान पहुंचा रहे हैं। मांझा कम्हरिया इटौरा ढो़लीपुर सराय हंकार सहित अन्य आधा दर्जन गांवों में जंगली जानवरों के साथ ही छुट्टा पशु दिन रात किसानों की खून पसीने की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं। घाघरा नदी के किनारे बसे इन गांवों के सैकड़ों किसानों की धान और गन्ने की फसल इस साल पूरी तरह से बाढ़ की भेंट चढ़ गई थी। बाढ़ की मार से टूटे किसान किसी तरह से फिर से गेहूं और सरसों की बोये हैं परन्तु दोनों ही फसलों को जानवर रोजाना दिन रात रौंद रहे हैं। राहुल सिंह,अभिषेक सिंह, रामसुमेर यादव, अनिल सिंह, अनिल गोस्वामी, रामफेर यादव, हरेंद्र शर्मा, लालचंद यादव सहित अन्य किसानों का कहना है कि बाढ़ के कारण पहले ही धान और गन्ने की खेती में नुकसान से आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है अब छुट्टा पशुओं और जंगली सूअरों के आतंक से लगता है कि फिर हम लोग बर्बाद हो जाएंगे।
घाघरा नदी के तटीय गांवों में छुट्टा पशुओं और जंगली सूअरों के आतंक से निजात दिलाए जाने के लिए इटौरा ढोलीपुर गांव निवासी समाजसेवी भावेश सिंह ने मुख्यमंत्री पोर्टल सहित अन्य उच्चाधिकारियों के यहां गुहार लगाई है। समाजसेवी भावेश सिंह का कहना है कि प्रशासन कागजों में छुट्टा आवारा पशुओं को पशु आश्रय स्थलों पर भेज रहा है परन्तु वास्तविकता यह है कि क्षेत्र का शायद ही कोई गांव बचा हो जहां किसानों की गेहूं सहित अन्य फसलों को झुंड के झुंड छुट्टा पशु रोजाना रौंद न रहे हों भावेश ने छुट्टा पशुओं से निजात दिलाए जाने की मांग की है।