उड़ता पंजाब की राह में अब उड़ता कुरुद

कुरुद:-कुरुद विधानसभा,कुरुद नगर छत्तीसगढ़ में कुछ समय पूर्व जहां विकास के नाम से पहचाना जाता था,वही अब नगर और विधानसभा के गांव अवैध शराब,जुआ,सट्टा,नशीली गोलियों के व्यापार के रूप में अपनी नई पहचान बना रहा है, नगर एवं आसपास के गांवों में यह अवैध कारोबार फल फूल रहे हैं, पुलिस विभाग द्वारा की जाने वाली कार्यवाही नाममात्र ही दिख रही हैं,जिस वजह से यह कारोबार करने वाले बेफिक्र होकर यह कार्य कर रहे है,

छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार भले ही अवैध कारोबारियों पर अपना चाबुक चलाने के कितने भी दावे क्यों न कर ले लेकिन असल ज़मीनी हकीकत इसके कुछ उलट ही है। हैरत की बात तो यह है कि इन अवैध कारोबारियों पर नकैल कसने की जिम्मेदारी जिस पुलिस के कांधों पर है उन कांधों के मौन संरक्षण के कारण ही कुरुद विधानसभा में अवैध कारोबार धड़ल्ले से फल फूल रहा है तभी तो थाना क्षेत्र एवं आसपास गांवो में चल रहे अवैध शराब, गांजा, जुआ,सट्टा,नशीली दवाओ,और उनके कारोबारियों पर लगाम नहीं लग पा रही है।

नगर और आसपास गांवो में जगह जगह शराब,गांजा,सट्टा, नशीली दवाओं का कारोबार दिन दुगना रात चौगुना बढ़ता ही जा रहा है लेकिन इस पर लगाम कस पाने में पुलिस पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है।

युवा मन को जोश व उमंग की उम्र कहा जाता है। यही उम्र का एक ऐसा पड़ाव होता है जब अपने भविष्य को लेकर इसी युवा मन द्वारा अपना लक्ष्य साधा जाता है। लेकिन दुर्भाग्यवश नगर के आसपास के युवाओं की नसों में जोश-ओ-खरोश से ज़्यादा नशा तैरता नज़र आ रहा है। कहने का तात्पर्य यह है कि नशे,और जुवे का कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा और युवा पीढ़ी नशे की आदी होती जा रही। वहीं जिले के जिम्मेदार इन सब से बाख़बर होने के बावजूद भी पूरी तरह से बेखबर बने बैठे हैं।

कृत्य कार्यवाही दिखाने के लिये कभी कभार एक आध की गिरफ्तारी कर कागज़ी कार्यवाही पूरा कर लिया जाता है और उसके बाद फिर धंधा बेधड़क चालू रहता है। क्षेत्र में नशे,जुवे का कारोबार बढ़ता जा रहा है। युवा इसकी चपेट में आ रहे हैं।

हैरत की बात यह है कि पुलिस इन कारोबारियों पर कार्रवाई की बात कह रही है लेकिन क्षेत्र में इसका कोई असर नहीं दिख रहा है।नशीले पदार्थों,जुवे के कारोबारी अपनी पैठ गहरी करते जा रहे हैं। क्षेत्र का हर गांव इनकी चपेट में हैं।

धूम्रपान से लेकर शराब का सेवन तक करने में 14 साल से लेकर 25 वर्ष तक की आयु के ही युवा ज्यादा चिह्नित किए जा रहे हैं।

नशे के दलदल में फंसने वालों में अच्छे अच्छे परिवारों के बच्चे भी शामिल हैं, जो पढऩे लिखने की उम्र मेें नशे के आदी होते जा रहे हैं। नशे में धूम्रपान से लेकर शराब का सेवन तो किया ही जा रहा, इसके अलावा जो इन दिनों नशा नसों में उतारा जा रहा है, उनमें नशीली दवाओं का नाम पहले लिया जा रहा है। जिसे सेवन कर युवा जोश के साथ मौत के मुंह में जाना पंसद कर रहे है।

सवाल यह उठता है कि क्या महेज़ चंद कागज़ के टुकड़ों के आगे इन्सानी ज़िन्दगियों का कोई मोल नहीं। आम तौर पर मुखबिर खास की सूचना पर अपराधियों को योजना बनाते हुए धर दबोचने का दावा कर सराहनीय कार्यों का प्रेस नोट जारी कर अपना बखान करने वाले जिले के पुलिस अधीक्षक बी.पी.राजभानु के मुखबिर खास इन शराब,गांजा सट्टा,और नशीली दवा कारोबारियों के गोरखधन्धे की सूचना पुलिस को उपलब्ध क्यों नही करा पा रही है।

आखिर थानों और चौकियों के अंतर्गत धड़ल्ले से बिक रही शराब, नशीली दवा चल रहे सट्टे पर रोक लगा पाने में हमारी मित्र पुलिस व आबकारी विभाग,ड्रग विभाग नाकाम साबित क्यों हो रही है।

अपराध ब्यूरो रिकार्ड के अनुसार बड़े-छोटे अपराधों, बलात्कार, हत्या, लूट, डकैती, राहजनी आदि तमाम तरह की वारदातों में नशे के सेवन का मामला लगभग 73.5 फीसदी तक है, और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध में तो ये दर 87 फीसदी तक पहुंची हुई है। 2014 में नारकोटिक्स ड्रग्स एक्ट के तहत 43,290 केस दर्ज किए गए, जिसमें सबसे अधिक पंजाब में 16,821, उत्तरप्रदेश में 6,180, महाराष्ट्र में 5,989, तमिलनाड में 1,812, राजस्थान में 1,337, मध्यप्रदेश में 1,027 तथा सबसे कम गुजरात में 73, गोवा में 61 तथा सिक्किम में 10 केस दर्ज किए गए।

नशीली दवाओं पर कानून

हमारे देश में संविधान के अनुच्छेद-47 के अनुसार चिकित्सकीय प्रयोग के अतिरिक्त स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नशीले पदार्थ व वस्तुओं के उपयोग को निषिद्ध करने के लिए 1985 में नशीली दवाएं व मनोविकारी पदार्थ कानून एनडीपीएस एक्ट बनाया गया। नशे के बढ़ते कारोबार को रोकने में सभी सरकारें लगभग फेल रही हैं। नशे से जुड़े लोगों पर तभी शिकंजा कसा जाता है, जब वे सरकार की आंखो में खटकने लगते हैं। यदि जिस तरह से सुशांत सिंह राजपूत प्रकरण के बाद नशे को लेकर जो कार्यवाही की जा रही है। यह कार्यवाही कम मीडिया में ऐसी खबरों को सनसनीखेज बनाये रखने की कार्यवाही अधिक है। यदि हमें युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकना है, तो मुंहदेखी या किसी अवसर विशेष या समूह विशेष को देखकर नहीं बल्कि समग्रता में इस बारे में सोचकर कार्यवाही करने की जरूरत है।