खुबे न विकास होत बा, गांव क नाही - सचिव साहेब के।

मऊ - आज तमाम सरकारी अधिकारी व कर्मचारी जनता के मेहनत की कमाई को लुटने में जहाँ दिन रात एक किये हैं, वही जनपद में एक सचिव जो कि बहुत ही कम समय में करोड़ों में खेलने लगा है, वह सचिव कोई और नही बल्कि अलीनगर ग्राम सभा के निवासी और रतनपुरा विकास खण्ड कार्यालय में तैनात अम्बरीष त्रिपाठी है। आइये बताता हूँ इनके पूरे परिवार के बारे मे। इस सचिव के पिता दो भाई है। इनके बड़े पिता पोस्ट ऑफिस में एक छोटी सी नौकरी कर अपना और अपने बच्चो का जीवन यापन करते हैं, इनका एक लड़का अभी जल्दी ही बिहार कैडर का पीसीएस अधिकारी चुना गया है, वही इन महाशय के पिता एक किसान है। इन महाशय की नौकरी को भी अभी ज्यादा समय नही हुआ है। 2016 बैच में इन्हें ग्राम पंचायत अधिकारी की नौकरी मिली। यह साहब कुछ अधिकारियों के चहेते भी रहे हैं, जिसका इन्हें भरपूर लाभ प्राप्त हुआ। अब आप खुद सोच सकते हैं कि जब इन्ही के साथ के तथा इनसे सीनियर अधिकारियों के पास जहाँ एक से दो गांव ही थे। वही इन ईमानदार और बेहद ही कर्मठशील साहब के पास पांच से सात गांव रहते थे। इनकी लुटिया तब डूबी जब मुख्य विकास अधिकारी राम सिंह वर्मा द्वारा जनपद में क्लस्टर लागू कर दिया गया। क्लस्टर लागू हो जाने से जहाँ कुछ सचिवों में नाराजगी देखने को मिली, वही कुछ सचिवों में खुशी भी रही। साहब के ठाट का पता इसी बात से लगता है कि जब यह नौकरी करने के समय एक खपरैल की मकान रही है, वही अब चमचमाती आलीशान मकान दिख रही है। अब उन्हें सचिव की नौकरी मिली है कि कोई कुबेर का खजाना हाथ लग गया है जो कि लगभग 15 लाख की कार, अपनी बहनों को बाहर पढ़ाना, अपनी और अपनी एक बहन की शादी में लगभग 40 लाख से ऊपर का खर्च। अब जाहिर सी बात है कि यह सब तो ईमानदारी के कार्यो से सम्भव है नही। वाह रे सचिव तेरी माया। अभी रोज खुलेंगे इनके एक एक भेद।