दी आइकॉन अस्पताल बन्द होना राजनीतिक साजिश-राहुल शुक्ला।

*मऊ -* जनपद का चर्चित दी आइकॉन अस्पताल के निदेशक राहुल शुक्ला ने जनपद के कुछ बड़े लोगों का नाम लिये बगैर जम कर बरसे। पूरी जानकारी के लिए बताते चलें कि जनपद का सुप्रसिद्ध अस्पताल जो कि खुलने के समय ही जनता में बहुत लोकप्रिय हो गया। जनपद ही नहीं वरन अगल बगल के जनपदों के लोगों में इस अस्पताल की ख्याति फैलने लगी। अस्पताल के निदेशक द्वारा कहा गया कि मऊ जनपद के कुछ बड़े नेता और दवा माफियाओं ने मिलकर मेरे विरुद्ध एक साजिश रची। जिससे मेरा अस्पताल बन्द करवाने से लेकर मेरी हत्या कराने तक का षड्यंत्र रचा जा रहा है। राहुल शुक्ला यही नहीं रुके, उन्होंने अपनी भड़ास निकालते हुए यह भी कहा कि उनके दी आइकॉन अस्पताल के खुल जाने से मऊ से वाराणसी जाने वाले मरीजों की सख्या में भी भारी गिरावट देखने को मिला। डॉ शुक्ला ने यह भी कहा कि आइकॉन अस्पताल की बढ़ती लोकप्रियता जनपद के कुछ बड़े लोगों को राश नही आया और यह अस्पताल उनकी आँखों की किरकिरी बन गया। डॉ शुक्ला ने यह भी आरोप लगाया कि जब पहली बार दी आइकॉन अस्पताल को मुख्य चिकित्साधिकारी और सिटी मजिस्ट्रेट के द्वारा सीज किया गया था, तो अस्पताल प्रबंधन द्वारा 13 अगस्त 2020 को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में डॉक्टरो के कागजात जमा किए थे। डॉ शुक्ला ने बताया कि लगभग डेढ़ महीने से डॉक्टर आकर मेरे यहां बैठे हुए हैं। उनको अस्पताल की तरफ से बिठाकर के सारे स्टाफ को और डॉक्टरों को सैलरी दे रहा है। डॉ शुक्ला ने तत्कालीन जिलाधिकारी ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी पर राजनीतिक दबाव के चलते अस्पताल को पूर्व में बिना कोई सूचना दिए एवं बिना कोई नोटिस दिए ही अस्पताल को बंद कर दिया गया। जबकि नियमतः डीएम साहब को पहले सीएमओ कार्यालय से अस्पताल संबंधी रिपोर्ट मंगानी चाहिए थी। डॉ शुक्ला ने कहा कि यदि जिला प्रशासन को अस्पताल से कोई कागज या कोई काम हो तो उन्हें अस्पताल को सूचित करना चाहिए था। उन्होंने ने यह भी कहा कि अस्पताल पंजीकृत था और अपनी सत्यता प्रमाणित करने के लिए अस्पताल सम्बन्धित सभी दस्तावेज जिला प्रशासन के समक्ष प्रस्तुत भी करता। डॉ शुक्ला ने सरकार से इस प्रकरण में न्याय की गुहार लगाते हुए अस्पताल को जल्दी से जल्दी खुलवाने की मांग की। जिससे कि गरीबों को बेहतर चिकित्सा सस्ते दामों पर फिर से ही जनपद में उपलब्ध हो सके।