पर्यटन के प्रमुख केंद्र के रूप में उभरेगा मुरला गणेश परिसर 

स्वच्छ राजस्थान ब्रांड एम्बेसडर के.के.गुप्ता पहुंचे मुरला मंदिर प्रागण,किये दर्शन,मांगी शहरवासियों के लिए मंगलकामना


गुप्ता ने कहा मुरला गणेश मंदिर हमारी आस्था का केंद्र,इसकी ख्याति को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी हमारी

डूंगरपुर - मुरला गणेश मंदिर के पास नगरपरिषद की 10 बीघा भूमि में नगरपरिषद द्वारा स्वच्छ,सुंदर,हरा भरा और आकर्षक बनाने को ऐतिहासिक नवाचार किया है। निवर्तमान सभापति के.के.गुप्ता ने कहा कि शहर के प्रमुख भगवान् मुरला गणेश मंदिर के प्रागण के विकास को लेकर नगरपरिषद और हम संकल्पित थे और रहेगे। नगरपरिषद ने शहर के आस्था के केंद्र के उत्थान की दिशा में शहर के 19 देवालयों का जीर्णोद्वार का कार्य पूर्ण कर लिया था और हमारी मंशा थी कि प्रथम आराध्य देव भगवान् मुरला गणेश मंदिर का प्रागण पर्यटन का प्रमुख केंद्र बने और जन आस्था का प्रवाह तीव्र वेग पकडे इसके लिए नगरपरिषद ने आराधय देव मुरला गणेश मंदिर प्रागण के जीर्णोद्वार के विकास का बीड़ा उठाया था जो आज शहरवासियों सहित पर्यटकों के लिए आस्था का केंद्र और पर्यटन का केंद्र बन गया है। गुरूवार को स्वच्छ राजस्थान के ब्रांड एम्बेसडर और निवर्तमान सभापति के.के.गुप्ता ने शहर के गणमान्य नागरिको के साथ रिद्दी सिद्धि के दाता भगवान मोरला गणेश के दर्शन कर विकास कार्यो का जायजा लिया और भगवान से शहरवासियों सहित जिलेवासियो के लिए मंगलकामना की।

यहाँ मुरादों को मिलता है मुकाम -
भगवान् मुरला गणेश के लिए एक किवदंती है कि यहाँ जो भी श्रद्धालु मुराद लेकर आता है वह खाली हाथ नहीं जाता है,मुरला गणेश के प्रति अगाध आस्था रखने वाले श्रदालु बताते है कि यहाँ की गयी मुरादों को मुकाम मिलता है और यह भी बताया जाता है की किसी भी प्रकार के आर्थिक संकट में मुरला गणेश उधार देने वाले देवता के रूप में जाने जाते है। यहाँ पर हर बुधवार को श्रदालु का तांता लगा रहता है ये मंदिर शहरवासियों की आस्था का प्रमुख केंद्र है जहा हर मुरादों को भगवान् मुरला गणेश पूरी करते है। इस मंदिर में भगवान मुरला गणेश के साथ उनकी दोनों पत्निया रिद्दी और सिद्दी दोनों भगवान गणेश के साथ विराजित है वही इस मंदिर परिसर में धन के देवता कुबेर का भी मंदिर है। प्राकर्तिक वातावरण में स्थापित जिले का मात्र एक मंदिर जहा भगवान गणेश अपनी दोनों पत्नियों के साथ विराजित है मंदिर प्रागण के जीर्णोद्वार से इस मंदिर को और भी ख्याति मिलेगी और पर्यटकों को ये स्थान खूब भायेगा।


आराध्य देव के परिसर का शाही तोरण द्वार सजा,छाई रौनक -

भगवान् मुरला गणेश मंदिर को पर्यटन के क्षेत्र में ख्याति दिलाने के लिए नवाचार किया गया है,मंदिर के निकट ही प्रत्यके बुधवार को हॉट बाजार लगाया जाएगा जहां विभिन तरह की दुकाने लगाकर व्यापारी हॉट बाजार में अपना व्यापार कर सकें जिससे श्रदालुओ और आमजन को आकर्षित किया जाएगा हॉट बाजार लगने से यहाँ रौनक बढ़ेगी और श्रदालुओ की संख्या में बढ़ोतरी होंगी। नगरपरिषद ने मुरला गणेश प्रागण के अत्याधुनिक विकास मंदिर परिसर से सटे प्रागण को सुंदर और आकर्षक बनाया गया है,ये स्थान को पर्यटन का प्रमुख स्थान बन गया है। प्रागण के विकास के साथ प्रागण में नगरपरिषद द्वारा नव सामुदायिक भवन, नया बगीचा ,फव्वारा और पुरे मंदिर पर रंग रोगन वही मंदिर परिसर का प्रवेश द्वार शाही बनाया गया है।

ईश्वरीय कृपा से सम्भव हुआ -

धर्म और अध्यात्म के प्रति समर्पण और आस्था रखने वाले नगरपरिषद के सभापति के.के.गुप्ता का कहना है कि नगर परिषद डूंगरपुर प्रदेश की ऐसी निकाय है जिसने देवालयों के जीर्णोद्वार के विजन को तय किया उन्होंने दावा करते हुए कहा कि प्रदेश की किसी भी निकाय ने कभी देवालयों की सुध नहीं ली है और मेरा मानना है की देवालयों के के जीर्णोद्वार से शहर का उद्धार हुआ है जहा देवालयों को सरंक्षण मिलेगा वहा सकारात्मक ऊर्जा आएगी और इस ऊर्जा से शहरी विकास,स्वच्छता और पर्यटन को पंख लगेंगे।

श्रदालुओ का स्वागत करेगा तोरणद्वार -

नगरपरिषद् के प्रयास से देवालयों के सरक्षण और संवर्धन की दिशा के कार्यो से गत बोर्ड के पांच साल के कार्यकाल की उपलब्धियों पर चार चाँद लग गए है। निवर्तमान सभापति गुप्ता ने कहा कि धर्म और अध्यात्म हमारा अस्तित्व है,धर्म और अध्यात्म की जड़े जितनी गहरी और मजबूत होंगी ईश्वरीय कृपा की छाव दिन दोगुनी चार चौगुनी बढ़ेगी। पर्यटकों को आकर्षित करने हेतु मंदिर प्रागण के बाहर तोरणद्वार बनाया गया है। मंदिर परिसर के साथ नगरपरिषद द्वारा एक कॉलोनी बनायीं है जिसके कारण यहाँ पहुंचने का रास्ता आसान हो गया है अब इस मंदिर में भक्तो का ताता लगना शुरू हो गया है।

मोर की अधिकता से मोरला गणेश नाम पड़ा

शहर का प्रमुख धर्म स्थल मुरला गणेश मंदिर करीब 400 साल से अधिक पुराना है,कहा जाता है कि 400 वर्ष जहा अभी मुरला गणेश मंदिर है वहा से हमारे जिले से गुजरात राज्य जाने के मार्ग था,बाहर से आये व्यापारी इस स्थान पर विश्राम करते थे और रात को डाकुओ के डर से वे अपनी धन राशि इस मंदिर प्रागण में छुपा देते थे इनके धन की सुरक्षा स्वयं भगवान गणेश करते थे बाद में दिन के उजाले में आकर व्यापारी अपनी धन राशि यहाँ से निकाल लेते थे। यहाँ बंजारा जाती के व्यापारियों के अधिकता थी और हमारे राज्य में प्रवेश करने से पूर्व हर व्यापारी भगवान गणेश की आराधना जरूर करता था। करीब 400 वर्ष पूर्व डूंगरपुर घराने के पूर्व महारावल शिव सिंह और राम सिंह ने इस मंदिर का जिर्णोद्वार कराया था वही डूंगरपुर राज घराने की बेटी और बीकानेर घराने के महारानी ने सबसे पहले सर्वप्रथम आर्थिक सहयोग दिया था। मुरला गणेश से जुड़े व्यक्ति बताते है कि इस मंदिर से हजारो भक्तो की आस्था जुडी हुई थी,ये मंदिर करीब 400 साल से भी अधिक पुराना है। पहले ये मंदिर परिसर एक कमरे में विधमान था,यहाँ पूरा जंगल था और मोरो की संख्या अधिक थी इसलिए इसको मोरला गणेश मंदिर कहने लगे,ये मंदिर पुरे जिले में एक है जहा भगवान गणेश अपनी दोनों पत्नियों के साथ विराजित है, ये मंदिर अपने भक्तो की हर मुराद को पूरी करता है। मंदिर परिसर में भगवान् गणेश के साथ महादेव का मंदिर भी था और दोनों मंदिरो पर शहरवासियों की बहुत आस्था थी यहां हर दीपावली के दूसरे दिन मतलब भाई दूज का मेला भी भरता है जहा पहले हर समाज का व्यक्ति इस मेले में आता और परसादी करता था। इस मंदिर पर शहरवासियो सहित कई प्रशसनिक अधिकारियो की भी आस्था थी जिसमे पूर्व के जिला कलेक्टर जय नारायण गौड़,विपिनचन्द्र शर्मा और ओपी सैनी और बीएल पालीवाल प्रति बुधवार को दर्शन करने आते थे।मंदिर परिसर में धन के देवता कुबेर का भी मंदिर है। मंदिर परिसर के निर्माण में राज परिवार,सार्वजानिक निर्माण विभाग,देवस्थान स्थान विभाग ने भी सहयोग दिया पर एक साल पहले मंदिर जीर्णोद्वार में डूंगरपुर निकाय ने इस मंदिर को गोद लिया और एक साल के भीतर ही इसकी काया पलट दी आज इस स्थान को देखने जिलेसहित बाहर के पर्यटक आने लगे है। आने वाले दिनों में मुरला गणेश मंदिर पर्यटन और आस्था के केंद्र के रूप में उभरेगा।