कर्मचारी संघ ने नियमित भर्ती का किया विरोध,

दिलीप जादवानी ब्यूरो न्यूज़ रायपुर-छत्तीसगढ़ में कार्यरत 13,000 स्वास्थ्य संविदा कर्मचारी जो कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी के तहत विभिन्न क्लीनिकल एवं मैनेजमेंट पदों पर कार्ययरत हैं, उन्होंने वर्तमान में नियमित भर्ती के तहत लिए जा रहे ANM, स्टाफ नर्स, लैब तकनीशियन, RMA पदों का विरोध करते हुए आज 28 जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को ज्ञापन देकर नियमित भर्ती में पहले संविदा पदों पर कार्यरत कर्मचारियों के समायोजन की मांग की है।अवगत हो कि कांग्रेस पार्टी ने 2018 के विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में संविदा पदों पर कार्यरत कर्मचारियो के नियमितिकरण का वायदा किया था, लेकिन लगभग 2 वर्षो के शासनकाल में अभी तक सरकार ने एक भी फैसला संविदा कर्मचारियों के हित मे नही लिया है, जिससे संविदा कर्मचारियो में व्यापक रोष व्यापत है।

उल्लेखनीय है कि कोरोना काल मे स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने अपने जान की परवाह किये बगैर 24-24 घंटे कार्य किया है और कोरोना की रोकथाम में अपना योगदान दिया है ।

इससे आम जनता के द्वारा स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को दिल से सम्मान दिया जा रहा है, लेकिन विडंबना है कि सम्मान से पेट नहीं भरा जा सकता । प्रदेश में इन दिनों लगभग रोज ही 500 के लगभग नए कोरोना मरीज सामने आ रहे हैं । हालांकि ठीक होने वालों की रफ्तार भी काफी तेज है, लेकिन जहां देशव्यापी रूप से कोरोना की बढ़ने की रफ्तार 1% तक गिर कर सकारात्मक रुझान दिखा रही है, वहीं छत्तीसगढ़ में ये रफ्तार लगातार बढ़ रही है । कुल मिलाकर कोरोना के मोर्चे पर सरकार बेबस नज़र आ रही है । ऐसी स्थिति में कोरोना वारियर्स के रूप में काम कर रहे स्वास्थ्य अमले की ओर से अच्छी खबर नहीं आ रही है, उनमें निराशा व्याप्त है, कई वारियर्स अवसाद से घिरे हुए हैं, ना तो उन्हें ठीक से अपने घर जाने मिल रहा है ना ही उन्हें आराम मिल रहा है । ऐसे में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी नए भर्ती विज्ञापन ने आग में घी का काम किया है जिससे स्वास्थ्य विभाग में काम कर रहे अनियमित संविदा कर्मचारी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं ।

छत्तीसगढ़ प्रदेश एन एच एम कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष एवं आल इंडिया एन एच एम कर्मचारी संघ के राष्ट्रीय सचिव हेमंत कुमार सिन्हा ने मांग की कि नियमित पदों में जो भर्ती निकाली गई उसमे पहले से ही कार्य कर रहे संविदा कर्मचारियों का समायोजन किया जाए क्योंकि अधिकतर कर्मचारी विज्ञापन में विज्ञप्त निर्धारित उम्र सीमा को पार कर चुके है और सरकार को जन घोषणा पत्र के वायदों को पूर्ण करना पहले जरूरी हैं जिन वायदों के आधार पर कांग्रेस पार्टी सत्तासीन हुई है उन वायदों को पूरा करना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है जिसमे वे अभी तक खरे नही उतरे है। जिस प्रकार से वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष टी एस सिंहदेव ने 2018 में संविदा कर्मचारियों के आंदोलन में बात कही थी की 10 दिनों के भीतर संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा एवं किसी भी की छंटनी नही की जाएगी उन वायदों से सरकार पलटती नजर आ रही है। जिससे कर्मचारी संघ में व्यापक रोष व्यापत है और कहि न कही अब सरकार के फैसलो के प्रति विरोध के स्वर उठने लगे है।

हेमंत सिन्हा ने आगे बताया कि निकट भविष्य में अपने हक के लिए वे हड़ताल की राह पकड सकते हैं, यदि ऐसा हुआ तो स्थिति भयावह होने की संभावना है, कोरोना संक्रमण के इस दौर में स्वास्थ्य अमले का हड़ताल पर जाना स्थिति को बिगाड़ सकता है । मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री सहित सत्ताधारी पार्टी को संविलियन के विकल्प पर गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है ।