नवरात्रि में सिन्धी गरबा की धूम

सवांददाता दिलीप जादवानी@कुरुद:-सिंधी गरबा महोत्सव ने पहले दिन से खुद को दूसरे गरबा कार्यक्रमों से अलग किया है। गरबा आयोजन समिति का मानना है कि गरबा उत्सव साधना की एक पद्धति है, जिसे हिन्दू समाज आस्था के साथ मनाता है। यह सही मायने में मनोरंजन नहीं, बल्कि शक्ति की उत्सवी साधना है। इसमें थिरकने वाले देवी के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते हैं। जिस तरह लोग अपने घरों में पर्व मनाते हैं, ठीक उसी तरह से सिंधी समाज ने सिंधी गरबा महोत्सव उत्सवी साधना को सामाजिक पर्व के रूप में मनाना शुरू किया है। जिसमें सैकड़ों की संख्या में प्रतिभागी हिस्सा लेते हैं। आयोजन समिति का उद्देश्य सिंधी समाज के युवक-युवतियों व हर उम्र के लोगों को अपनों के साथ गरबा करने का मौका देना था। आयोजन का यह दूसरा वर्ष है, लेकिन आज तक कभी गरबा में फूहड़ता को शामिल नहीं होने दिया। देवी भजनों और सिंधी संगीत में रचा बसा होता है सिंधी गरबा महोत्सव। सिंधी समाज के अलावा किसी को भी आयोजन में प्रवेश नहीं दिया जाता है। सिंधी समाज के लोग परिवार के साथ इसमें शामिल होते हैं। गरबा साधना के साथ सिंधी समाज के लोगों के लिए यह उत्सवी समागम भी होता है। सिंधी गरबा उत्सव 08 अक्टूबर तक मनाया जा रहा है। इसके लिए कुरुद सिंधी धर्मशाला मे समाज के लोगों को प्रशिक्षण दिया गया। जिनमे भारती सुंदरानी,बबली बजाज,झनकार बजाज,भावीका सुखरामनी,सुशीला आसरानी,पूजा आसरानी, सीमा रामानी, वैशाली रामानी,पूर्वी सुखरामनी,गोदावरी चैनवानी,सिमरन चैनवॉनी,मधु शादीजा ,नेहा शादीजा,जिया जादवानी,सोनल जादवानी,शिवानी शादिजा,मधु शादीजा, सुमन बजाज, मोक्षा बजाज,रिद्धि नोतवानी,सहित समाज की महिलाओं ने गरबा में भाग लिया।