हरदोई में वीआईपी कल्चर की धमक, संगीत सोम के काफिले के लिए एम्बुलेंस रोकी, संडीला विधायक की गाड़ियों से जाम का वीडियो पोस्ट करने पर युवक हवालात में, सोशल मीडिया पर आक्रोश

हरदोई। वीआईपी कल्चर और पुलिस की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। नुमाइश चौराहा स्थित घंटाघर पर उस समय हैरानी और नाराजगी देखने को मिली जब ट्रैफिक पुलिस ने एक गंभीर मरीज को ले जा रही एम्बुलेंस को भाजपा नेता संगीत सोम समेत कई वीआईपी का काफिला निकलने के लिए रोक दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार एम्बुलेंस को कुछ देर तक बीच सड़क पर खड़ा रखा गया, जिससे लोगों में गुस्सा फैल गया। राहगीरों का कहना था कि मरीज की जान बचाने में हर सेकंड कीमती होता है, ऐसे में वीआईपी वाहनों को प्राथमिकता देना गंभीर लापरवाही है। इस घटना ने न केवल पुलिस के कर्तव्यों पर प्रश्नचिह्न लगाया बल्कि संविधान द्वारा प्रदत्त जीवन के मौलिक अधिकार को भी चुनौती दी।
वहीं इसी तरह का मामला संडीला में भी सामने आया, जहां स्थानीय निवासी सूरज सिंह सिकरवार को पुलिस ने केवल इसलिए हवालात में डाल दिया क्योंकि उन्होंने क्षेत्रीय विधायक अलका सिंह अर्कवंशी की गलत तरीके से पार्क की गई गाड़ी का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया था। बताया गया कि विधायक की गाड़ी सड़क पर खड़ी होने से जाम की स्थिति पैदा हुई थी। युवक की गिरफ्तारी की खबर फैलते ही सोशल मीडिया पर लोगों का आक्रोश फूट पड़ा। प्रियंका सिंह ने लिखा कि ?क्या ट्रैफिक समस्या का वीडियो डालने पर गिरफ्तारी जायज़ है?? संध्या वंदिता नें लिखा है कि नियम सभी के लिए समान होते हैं, उनके ड्राइवर को नहीं पता था क्या, राजू सिंह सोमवंशी ने लिखा है कि क्षत्रिय समाज की मीटिंग में बड़ी-बड़ी बातें करने वाले वह नेता कहां गए, सूरज सिंह सिकरवार को न्याय कौन दिलाएगा? दीपक मीणा लिखते हैं कि शर्म आनी चाहिए ऐसे नेताओं को। अंकित यादव नें लिखा है आज कल सही के लिए आवाज उठाना भी गुनाह है।वहीं शिवम् गुप्ता ने टिप्पणी की कि ?नेता पद पाकर खुद को भगवान समझने लगते हैं।?
इन दोनों घटनाओं ने हरदोई पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को टैग कर निष्पक्ष कार्रवाई और निर्दोष नागरिकों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। आम जनता का कहना है कि प्रशासन को तुरंत संज्ञान लेकर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकनी चाहिए।