अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस -2025 (एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य के लिए योग),रेलवे सुरक्षा बल, भारतीय रेल “योग मन पर नियंत्रण है”– पतंजलि

"योग दिवस अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण की खोज में सबसे बड़े जन आंदोलनों में से एक बन गया है"। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी।

योग शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास की एक शाश्वत परंपरा है जिसकी उत्पत्ति भारत में हुई। महर्षि पतंजलि ने अपने मौलिक ग्रंथ " योगसूत्र" में योग के रूपों को व्यवस्थित किया । योग का शाब्दिक अर्थ है " जुड़ना या एकजुट होना " जो मन और आत्मा के साथ शरीर के सामंजस्यपूर्ण मिलन का प्रतीक है। योग अभ्यास में आसन, ध्यान और श्वास शामिल हैं। इसे आठ (8) अंगों में संरचित किया गया है, जिसमें यम- संयम; नियम - तपस्या का पालन; आसन - मुद्राएँ; प्राणायाम - सांस पर नियंत्रण; प्रत्याहार - इंद्रियों को नियंत्रित करना; धारणा - चिंतन; ध्यान - ध्यान और समाधि - गहन ध्यान आदि शामिल हैं।

योग को अब वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक और समग्र स्वास्थ्य अनुशासन के रूप में मान्यता प्राप्त है। तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने से लेकर मोटापा, उच्च रक्तचाप और मधुमेह आदि जैसे जीवनशैली विकारों को दूर करने तथा शरीर और मन पर इसके परिवर्तनकारी प्रभावों को अच्छी तरह से प्रलेखित किया गया है। यह मानसिक स्पष्टता, भावनात्मक स्थिरता को बढ़ावा देता है और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, जिससे व्यक्तियों को स्वस्थ जीवन विकल्प चुनने में मदद मिलती है। योग और जीवनशैली आपस में जुड़े हुए हैं। आज की तेज रफ्तार जीवनशैली की आदतें मन और शरीर दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। जीवनशैली संबंधी विकार और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आम हैं जो व्यक्ति, समुदाय और राष्ट्रों के लिए बड़ी चुनौती पेश करती हैं। योग पहले की तुलना में अधिक प्रासंगिक हो गया है। हृदय संबंधी स्वास्थ्य को बढ़ाने, प्रतिरक्षा को बढ़ाने, मनोवैज्ञानिक लचीलापन आदि में योग का अभ्यास करने के लाभों को विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों में अच्छी तरह से प्रलेखित किया गया है।

"योग दिवस अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण की खोज में सबसे बड़े जन आंदोलनों में से एक बन गया है"। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी।

खुशहाल और स्वस्थ मानवता में योगदान देने में "सांस्कृतिक विरासत योग" के महत्व को समझते हुए , हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में एक ऐतिहासिक प्रस्ताव रखा। संयुक्त राष्ट्र ने स्वास्थ्य और कल्याण के लिए योग के समग्र दृष्टिकोण को मान्यता दी। विश्व की आबादी के स्वास्थ्य के लिए योग अभ्यास के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता और वैश्विक स्वास्थ्य, एक दीर्घकालिक विकास उद्देश्य है जिस हेतु बेहतर व्यक्तिगत जीवन शैली के निर्माण के उद्देश्य से सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। 11 दिसंबर, 2014 को जनरल असेंबली (यूएनजीए) में सर्वसम्मति से उक्त प्रस्ताव पारित किया और 21 जून को " अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस" (आईडीवाई) घोषित किया। इस प्रस्ताव का 175 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों ने समर्थन किया। यह व्यापक रूप से समर्थित संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों में से एक है। 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में चुनने के पीछे कारण यह है कि यह तिथि उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन (ग्रीष्म संक्रांति) है और कई देशों में विशेष सांस्कृतिक महत्व रखती है।

पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून, 2015 को पूरे विश्व में बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाया गया। इस प्रयास ने योग को वैश्विक मान्यता प्रदान की है और यह सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य आंदोलनों में से एक बन गया है। अब, दुनिया का हर देश भारत की संस्कृति, विरासत और परंपरा अर्थात योग का जश्न मनाता है। संपूर्ण मानव जाति के हित के लिए योग को दुनिया द्वारा अपनाया जाना देशों के बीच सफल अंतर-सांस्कृतिक संवाद और समझ का प्रमाण है। इसके अलावा, योग को 2016 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा "मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची" में शामिल किया गया था।

आयुष मंत्रालय (एमओए), भारत सरकार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के वार्षिक उत्सव हेतु नोडल मंत्रालय है। विगत वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को अलग-अलग थीमों के साथ मनाया गया है जैसे कि सद्भाव और शांति के लिए योग (2015, नई दिल्ली); सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए योग (2016, चंडीगढ़); स्वास्थ्य के लिए योग (2017, लखनऊ); शांति के लिए योग (2018, देहरादून); हृदय के लिए योग (2019, रांची); घर पर योग और परिवार के साथ योग (2020); कल्याण के लिए योग (2021); मानवता के लिए योग (2022, मैसूर); वसुधैव कुटुम्बकम के लिए योग (2023, संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क); स्वयं और समाज के लिए योग (2024, श्रीनगर) तथा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, 2025 का विषय ?एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य के लिए योग? है ।

हर साल 21 जून को 45 मिनट की अवधि के लिए कॉमन योग प्रोटोकॉल (सीवाईपी) पर आधारित एक संरचित सामूहिक योग सत्र स्कूलों, कॉलेजों, सार्वजनिक संस्थानों, हाउसिंग सोसाइटियों, ग्राम पंचायतों, खेल स्टेडियम, व्यावसायिक फर्मों, कॉर्पोरेट कंपनियों, सांस्कृतिक संगठनों आदि में व्यापक सार्वजनिक भागीदारी के साथ आयोजित किया जाता है। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस दुनिया भर के विरासत और प्रतिष्ठित स्थानों, जैसे कि संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय (यूएन मुख्यालय) न्यूयॉर्क, ओपेरा हाउस, एफिल टॉवर, और ब्रासीलिया के कैथेड्रल आदि पर मनाया जाता रहा है। भारत के प्रधानमंत्री प्रत्येक वर्ष आईडीवाई के समारोह में देश का नेतृत्व करते हैं। यह भारत के स्वतंत्रता समारोह "आजादी का अमृत महोत्सव" के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में 2022 में दुनियाभर के 75वें विरासत और प्रतिष्ठित स्थानों पर आयोजित किया गया था। उक्त वार्षिक उत्सव हेतु सशस्?त्र बल और सुरक्षाकर्मी एक साथ आते हैं और सियाचिन ग्?लेशियर तक पूरे देश में बड़े उत्?साह के साथ अंतर्राष्?ट्रीय योग दिवस मनाते हैं ।�

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस अपनी सार्वभौमिक अपील को पहचानते हुए एक व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य आंदोलन बन गया है, जो स्वास्थ्य, एकता और सद्भाव को बढ़ावा देता है। इसी संदर्भ में आयुष मंत्रालय सेमिनार, प्रतियोगिताएं और जागरूकता अभियान आयोजित करता है। जिसमें भागीदारी में तेजी से वृद्धि हुई है ? 2015 में 35,000 प्रतिभागियों से लेकर 2023 में 135+ देशों के 23.4 करोड़ से अधिक लोगों ने भाग लिया और पिछले कुछ वर्षों में कई गिनीज और लिम्का बुक रिकॉर्ड बनाए गये हैं।

योग का क्षितिज तेजी से और व्यापक रूप से फैल रहा है। इसे केंद्रीय सशस्त्र अर्धसैनिक बलों (सीएपीएफ) के प्रशिक्षण के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। विद्यालयों में, योग के क्षेत्र में शिक्षा, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (एमडीएनआईवाई) जैसे समर्पित संस्थान स्थापित किए गए हैं। इसे कारागृहों, कॉर्पोरेट वातावरण, वेलनेस टूरिज्म आदि में भी बढ़ावा दिया जा रहा है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर योग को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए व्यक्तियों और संगठनों को वार्षिक पीएम योग पुरस्कार दिए जाते हैं।

दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक भारतीय रेलवे (आईआर) देश की जीवन रेखा है। वर्ष 2023-24 में, इसने प्रतिदिन लगभग 19 मिलियन यात्रियों और 4.4 मिलियन टन माल का परिवहन किया। पूरे देश में फैला विशाल रेल सरंचना दुर्भावनापूर्ण कृत्य के लिए एक आसान लक्ष्य है और एक अनूठी सुरक्षा चुनौती पेश करता है। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) लगभग 75,000 कर्मियों के साथ रेल मंत्रालय के तहत एक सशस्त्र बल है जिसे इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संपत्ति, यात्री सुरक्षा एवं संरक्षा की रक्षा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आरपीएफ रेलवे संपत्ति और रेल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

आरपीएफ की भूमिका और जिम्मेदारियां अनेक हैं। आरपीएफ कर्मियों की जिम्मेदारियों में अपराध की रोकथाम और पता लगाना, ट्रेनों को एस्कॉर्ट करना, जांच प्रकरण, बंदोबस्?त डयूटी, अभियोजन, आपदा प्रतिक्रिया, महिलाओं की सुरक्षा, भीड़ नियंत्रण, खुफिया जानकारी एकत्र करना और कई प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय करना इत्यादि शामिल है। आरपीएफ ड्यूटी की प्रकृति अत्यधिक मांग वाली, तनावपूर्ण, कठोर और अत्यधिक चुनौतीपूर्ण वातावरण में की जाने वाली होती है, जिसका कर्मियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

शारीरिक सहनशक्ति, मानसिक लचीलापन और स्वास्थ्य को बढ़ाने में योग के समग्र दृष्टिकोण को पहचानते हुए, आरपीएफ ने योग को अपने संस्थागत ढांचे में सक्रिय रूप से एकीकृत किया है। योग को न केवल एक नियमित व्यायाम के रूप में बल्कि एक व्यापक आत्म सुधार, परिचालन तत्परता और तनाव प्रबंधन स्वास्थ्य उपकरण के रूप में बढ़ावा दिया जाता है तथा प्रोत्साहित किया जाता है। इसे सभी प्रशिक्षण मॉड्यूल और नियमित योग कार्यशालाओं, सम्मेलनों, प्रतियोगिता, ऑनलाइन प्रशिक्षण मॉड्यूल आदि में शामिल किया गया है जो पूरे वर्ष आयोजित किए जाते हैं। इसमें सभी रैंक, इकाइयों और क्षेत्र संरचनाओं के कार्मिक उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं।

21 जून 2025 को 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर, आरपीएफ अपने कर्मियों के समग्र स्वास्थ्य के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है। बल का मार्गदर्शक आदर्श शीर्षक " यशो लाभस्व " - गौरव प्राप्त करें - प्रत्येक दिन और प्रत्येक कर्तव्य में अपने कर्मियों के बीच अदम्य भावना और क्षमता को दर्शाता है। योग राष्ट्र की सेवा में एक केंद्रित, लचीला और हमेशा योग्य बल बनाने में एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करता है। योग के इस अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर, रे.सु.ब. प्राचीन अनुशासनों जैसे कि मानसिक स्पष्टता, शारीरिक जीवन शक्ति, एकता, सद्भाव तथा राष्ट्रीय सेवा के प्रतीक को अपनाने के लिए अपनी प्रतिज्ञा की पुष्टि करता है।