मध्य रेल, महाप्रबंधक द्वारा जिंगल लॉन्च के साथ LOGO (लोगो) का अनावरण - विद्युतीकरण के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में समारोह शुरू

मध्य रेल अपने विद्युतीकरण के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में समारोह शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है। मध्य रेल के महाप्रबंधक श्री धर्मवीर मीना ने विद्युतीकरण के 100 वर्ष पूरे होने के लोगो (LOGO) का अनावरण किया और मध्य रेल पर विद्युतीकरण के शताब्दी समारोह की शुरुआत करने के लिए जिंगल लॉन्च किया।

इस अवसर पर अपर महाप्रबंधक प्रतीक गोस्वामी, प्रधान मुख्य विद्युत इंजीनियर रजनीश गोयल और मुंबई मंडल के मंडल रेल प्रबंधक हिरेश मीना भी उपस्थित थे।

भारत में विद्युत कर्षण की यात्रा 3 फरवरी, 1925 को शुरू हुई, जब ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे (जीआईपीआर) अब मध्य रेल ने बॉम्बे वीटी (अब सीएसएमटी) और कुर्ला हार्बर के बीच 16 किलोमीटर की दूरी पर पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन (ईएमयू) चलाई। 1500V DC सिस्टम पर चलने वाले 4 कोच EMU की यात्रा ने भारतीय रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण युग की शुरुआत की, जो भाप से चलने वाले इंजनों से इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन में परिवर्तित हो रहा था। 1928 तक GIPR हार्बर लाइन पर 4 कोच EMU और मेन लाइन पर 8 कोच EMU चला रहा था। सर लेस्ली विल्सन, पहली पीढ़ी के इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव 1928 में भारत में पेश किए गए थे। यह एक C-C डिज़ाइन 1500V DC लोकोमोटिव था।रेलवे नेटवर्क का विद्युतीकरण भारत के सतत सस्टेनिब्लिटी एजेंडे का एक केंद्रीय हिस्सा है, जो जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में योगदान देता है। सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों के उपयोग सहित हरित और कुशल ऊर्जा प्रणालियों में परिवर्तन, इलेक्ट्रिक इंजनों के भविष्य को आगे बढ़ाएगा।