राशन बंटने के साथ ही माफियाओं की हुई बल्ले बल्ले, नए-नए पैंतरे अपना रहे माफिया 

अब एक साथ बड़े वाहन में राशन दुकानदार और इकट्ठा किया हुआ कालाबाजारी का खाद्यान्न न लेकर छोटे-छोटे ई रिक्शा से लिया जाता है खाद्यान्न


अलीगढ़। सरकार के द्वारा जैसे ही राशन कार्ड धारकों को राशन उपलब्ध कराना शुरू किया जाता है और पात्र उपभोक्ताओं को राशन उपलब्ध कराया जाता है, वैसे ही खाद्यान्न माफिया की बल्ले बल्ले हो जाती है। यहां तक कि राशन दुकानदार से लेकर उपभोक्ता के घर तक नहीं पहुंच पाता है, उससे पहले ही राशन की दुकानों के पास ही फेरी वाले और खाद्यान्न खरीदने वाले माफियाओं के गुर्गे राशन की दुकानों पर ही अपने कांटे लगाकर खरीद फरोख्त करने लगे हैं। कई जगह तो ऐसे खरीद फरोख्त करने वाले लोगों को पुलिस ने भी दबोचा है । अभी पिछले महीने ही नई बस्ती की एक राशन की दुकान के पास खरीद फरोख्त कर रहे दो-तीन लोगों को पुलिस ने दबोचा था ,जिनसे करीब सात आठ कुंतल राशन का चावल बरामद हुआ, जो कि ग्राहक लेकर जा रहे थे ,उनसे खरीदा गया था ।इसी तरह से लगातार गली-गली में और फेरी करने वालों के द्वारा कई-कई कुंतलों के हिसाब से जनता को मिलने वाला राशन लाया जा रहा है, जो कि इकट्ठा होकर एक निश्चित स्थान से बड़े-बड़े ट्रक ट्रोला में भरकर दिल्ली के लिए भेजा जाता है। मात्रा की बात करें तो एक ट्रोला ट्रक में करीब पचास से साठ टन खाद्यान्न आता है। जिले में बड़े स्तर पर मथुरा रोड हाईवे के हाजीपुर चौहट्टा में यह कालाबाजारी का खेल लगातार चल रहा है। मंगलवार को एक ई रिक्शा चालक ने बताया कि उसके द्वारा लाया गया चावल सरकारी बोरों में से प्लास्टिक के दूसरे बोरों में पलटा हुआ है। जो कि एक बराबर मात्रा में है और एक से ही बोरों में है और यह सारा माल ई रिक्शा से बाबरी मंडी से लाकर दिल्ली एटा हाईवे के पास हाजीपुर चौहट्टा नामक स्थान पर किसी मयूर नामक व्यक्ति के पास पहुंचाया जा रहा है और उसके द्वारा एक मोबाइल नंबर भी लगातार मिलाया गया जो कि मयूर नामक व्यक्ति का था ,यह साफ-साफ ई रिक्शा चालक के द्वारा बताया गया । सरकार को होने वाली राजस्व की हानि की बात की जाए तो खाद्यान की खरीद फरोख्त का काम करने वाले व्यापारियों को डेढ़ प्रतिशत का टैक्स सरकार को मंडी समिति के माध्यम से उपलब्ध कराना होता है । अगर इसी टैक्स की चोरी के लिए व्यापारियों के द्वारा मंडी समिति को ना बताया जाए और मंडी समिति के छापा पड़ने पर इस टैक्स को वसूलने की जो राशि होती है वह 10 गुना हो जाती है । जिसकी अगर बात की जाए तो अलीगढ़ से निकलने वाले खाद्यान्न का टैक्स ही टैक्स लाखों रुपए में बैठेगा। जिसके ऊपर मंडी के किसी भी अधिकारी का ध्यान नहीं है उनके पास सिर्फ और सिर्फ कर्मचारियों की कमी का रोना बाकी रहता है नतीजा सरकार को राजस्व के रूप में झेलना पड़ रहा है ।जो कि माफियाओं की जेब में सीधा-सीधा जा रहा है।