शासकीय मॉडल कॉलेज गीदम में जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत विषय पर कार्यशाला संपन्न 

दंतेवाड़ा, 23 अक्टूबर 2024। शासकीय मॉडल कॉलेज, जवांगा में दिनांक 22-10-2024 को "जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ, जो जनजातीय समाज के गौरव और उसकी संस्कृति के संरक्षण के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। यह कार्यशाला "शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय, जगदलपुर के सहयोग से, छत्तीसगढ़ राज्य सरकार और उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशों के अनुसार आयोजित की गई थी। इस अवसर पर बोमड़ा कवासी, जिन्हें शिक्षा नगरी जावांगा के संस्थापक के रूप में सम्मानित किया जाता है, मुख्य अतिथि थे। संजीवन भुवार्य, बस्तर संभाग के जनजातीय गौरव कार्यशाला के नोडल अधिकारी, ने विशेष अतिथि के रूप में कार्यशाला की शोभा बढ़ाई। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता "इच्छेश्वर नाथ साहि", वनवासी कल्याण आश्रम, जगदलपुर के वरिष्ठ सदस्य, थे, जिन्होंने जनजातीय समाज की सांस्कृतिक धरोहर और उसकी भविष्य की चुनौतियों पर गहन विचार साझा किए।

प्राचार्य डॉ. अरुण कुमार दीक्षित के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यशाला का संयोजन "सुरेंद्र कुमार महला", सहायक प्राध्यापक (वनस्पति विज्ञान) द्वारा किया गया। "सुरेंद्र यादव ने मंच संचालन किया और कार्यक्रम की गरिमा को बनाए रखा। कार्यक्रम में उपस्थित सभी स्टाफ सदस्यों और शिक्षकों ने इसे सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।

कार्यशाला के दौरान विद्यार्थियों ने जनजातीय समाज की विविधता को दर्शाने वाले लोकगीत, लोकनृत्य और आदिवासी वेशभूषा प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया, जिसमें उनकी सांस्कृतिक समझ और सृजनशीलता का बेहतरीन प्रदर्शन देखने को मिला। सभी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया और प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।

जनजातीय समाज के विभिन्न प्रमुखों ने भी कार्यशाला में भाग लिया और अपने विचार रखते हुए युवाओं को जनजातीय समाज के उत्थान और विकास में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपने समाज के गौरवशाली अतीत पर प्रकाश डाला और इसे बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया।

प्राचार्य डॉ. अरुण कुमार दीक्षित ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और उन्हें धन्यवाद देते हुए जनजातीय समाज की धरोहर के प्रति जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कॉलेज की उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं पर भी प्रकाश डाला और जनजातीय समाज के समर्थन और सहयोग का आह्वान किया।

यह कार्यशाला जनजातीय समाज के गौरवशाली अतीत को समझने और आधुनिक पीढ़ी को उसकी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का एक सशक्त मंच साबित हुई। कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों को सम्मानित किया गया और उनकी सहभागिता के लिए आभार व्यक्त किया गया।