भू माफियाओं पर शिकंजा कसने में नाकाम तहसील प्रशासन

ऊंचाहर,रायबरेली।सरकार भू माफियाओं पर शिकंजे कसने के चाहे जितने कसीदे कसती हो लेकिन रायबरेली में इसका कोई असर नही दिख रहा है।ऊसर, बंजर, खलिहान तो छोड़िए अब तो खुद राज्य सरकार के नाम दर्ज भूमि भी सुरक्षित नहीं है।राजस्व अधिकारी और कर्मचारी भी भूमाफियाओं के साथ सांठ गांठ करके उनका साथ दे रहे हैं। दरअसल मामला ऊंचाहार तहसील क्षेत्र के कन्दरावां ग्राम सभा की भूमि गाटा संख्या 1539 रक्बा 0.1520 हेक्टेयर में से कृपाल पुत्र रघुवर के नाम से खारिज करके करीब 0.016 हेक्टेयर राज्य सरकार के नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज है।गौरकरिए भूमाफिया कितने शातिर हैं पहले उन्होंने राज्य सरकार के नाम दर्ज भूमि के पीछे किसी एक भूमि का बैनामा करवाया और उसके बाद सरकार की भूमि बेच डाली।मामला मीडिया की सुर्खियों में छाया तो तत्कालीन लेखपाल हनुमंत प्रसाद ने आईजीआरएस पर की गई शिकायत में अपनी रिपोर्ट आख्या में बताया की प्रश्नगत भूमि मौके पर खाली है।जबकि भू माफियाओं ने सरकारी भूमि को अपनी भूमि बताकर बकायदे बैनामा कर के बेच डाला है।जिसमें ऊसर की भूमि शामिल है।

क्या हैं यह भू माफिया और क्या खेल

कस्बा निवासी मुस्लिम समुदाय के दबंग भू माफियाओं की नज़र कन्दरावां स्थित भूमि पर पड़ी और उसपर ग्रहण लग गया।

क्या भू माफियाओं का काला कारनामा,,,,?

दरअसल कस्बा निवासी मुस्लिम समुदाय के दबंग भूमाफियाओं का परिवार लम्बा होने के चलते पड़ोस के ही एक दलित शख्स जोखू लाल को गुमराह करके उसके नाम गाटा संख्या 1539/01520 हेक्टेयर में कृपाल पुत्र रघुवर से बैनामा ले लिया। लेकिन जिस भूमि प्लॉटिंग की गई है वह राज्य सरकार के नाम दर्ज है। जबकि विक्रेता कृपाल व क्रेता जोखू लाल की भूमि भूमि बिक्रित भूमि से अलग है।मामला मीडिया की सुर्खियों में छाया तो क्रेता व उसके आकाओं पर जांच की तलवार लटक गई है।एसडीएम सिद्धार्थ चौधरी ने बताया की मामले में जांच के बाद राज्य सरकार के नाम दर्ज भूमि खाली कराई जायेगी और दोषियों पर कार्यवाही की जायगी।