*फाइलेरिया रोगियों को चिन्हित करने को अनूठी पहल* *हर बुधवार की रात को फाइलेरिया नियंत्रण इकाई पर होती है जांच*

*फाइलेरिया रोगियों को चिन्हित करने को अनूठी पहल*
*हर बुधवार की रात को फाइलेरिया नियंत्रण इकाई पर होती है जांच*
*सीतापुर (अनूप मिश्र*)फाइलेरिया के संभावित मरीजों को जांच के लिए भटकना न पड़े, इसको लेकर फाइलेरिया विभाग ने हर बुधवार को जिला मुख्यालय पर स्थित फाइलेरिया नियंत्रण इकाई (फाइलेरिया ऑफिस) पर जांच की व्यवस्था की है। यहां पर संभावित रोगियों के रक्त का नमूना (ब्डल सैंपल) लेकर उसकी जांच की जाती है। जांच में धनात्मक (पॉजिटिव) पाए जाने पर मरीज का तत्काल उपचार शुरू किया जाता है। इसके साथ ही यहां पर आने वाले सभी लोगों को फाइलेरिया के कारण, लक्षण और बचाव की जानकारी दी जाती है। बुधवार को अवकाश होने की दशा में गुरुवार को जांच की जाती है।
सीएमओ डॉ. हरपाल सिंह ने बताया कि फाइलेरिया मरीजों को चिन्हित करने के लिए उनके रक्त का नमूना रात में ही लिया जाता है। फाइलेरिया के परजीवी (माइक्रो फाइलेरिया) रात के समय खून में अधिक सक्रिय होते हैं। ऐसे में रात के समय रक्त का नमूना लेकर उसकी जांच करने से संक्रमण संबंधी रिपोर्ट सही आती है। उन्होंने बताया कि रक्त का नमूना लेने के बाद इसकी रक्त पट्टिका बनाई जाती है और फिर उसकी प्रयोगशाला में जांच की जाती है।
सीएमओ ने बताया कि अगस्त माह में 226 लोगों के रक्त के नमूने लेकर उनकी जांच भी की गई है।
*फाइलेरिया के लक्षण ---*
नोडल वीबीडी डॉ. राजशेखर ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर से होने वाली बीमारी है। इसके प्रारम्भिक लक्षणों में कई दिनों तक रुक-रुक कर बुखार आना, शरीर में दर्द, लिम्फ नोड (लसिका ग्रंथियों) में सूजन जिसके कारण हाथ, पैरों में सूजन ( हाथी पांव) पुरुषों में अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील) और महिलाओं के स्तनों में सूजन आ जाती है। बीमारी की पहली अवस्था में पैरों की सूजन दिन में रहती है, लेकिन रात में आराम करने पर कम हो जाती है। किसी भी व्यक्ति को संक्रमण के पश्चात् बीमारी होने में पांच से 15 वर्ष लग सकते हैं। यदि हम इन लक्षणों को पहचान लें और समय से जांच कराकर इलाज करें तो हम इस बीमारी से बच सकते हैं। उन्होंने बताया कि यह लाइलाज बीमारी है, एक बार बीमारी हो जाने पर जिंदगी भर इसके साथ ही जीना पड़ता है। इसलिए फाइलेरिया के रोगी को हमें मानसिक सांत्वना देने की जरूरत है।
*ऐसे करें बचाव ---*
जीव वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह ने बताया कि फाइलेरिया से बचाव के लिए मच्छरों से बचना जरूरी है और मच्छरों से बचाव के लिए घर के आस-पास पानी, कूड़ा और गंदगी जमा न होने दें। घर में भी कूलर, गमलों अथवा अन्य चीजों में पानी न जमा होने दें। सोते समय पूरी बांह के कपड़े पहने और मच्छरदानी का प्रयोग करें। यदि किसी को फाइलेरिया के लक्षण नजर आते हैं तो वे घबराएं नहीं। स्वास्थ्य विभाग के पास इसका उपचार उपलब्ध है। इसलिए लक्षण नजर आते ही सीधे सरकारी अस्पताल जाएं।