शहर के मुख्य स्थल फौहारा चौक मे 1546 वर्ग फेट की जगह लगभग 3500 वर्ग फूट मे अवैध निर्माण कलेक्टर कोरिया से शिकायत जांच जारी

बैकुण्ठपुर। कोरिया जिले मे भू-माफियाओं का आतंक इस कदर जारी है कि राजस्व विभाग के अधिकारी के आनें से पहले ही भू-माफिया अपनी पहूंच कर्मचारियों के तहत बनाकर अपने काले कार्नामों के संबंध मे जानकारी दे कर मामला सेट कर लेते है। सुत्रों की मानें तो जिला मुख्यालय तहसील बैकुण्ठपुर मे भू-माफिया कुछ ज्यादा ही हावी है, राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारी भू-माफियाओ के इसारे पर कार्य करते है, जिसके कई उदाहर भी है खबरें भी प्रकाशित हुई है। जबसे कलेक्टर विनय कुमार कोरिया जिला मे पदस्त हुए है तब से कुछ हद तक भू-माफियाओं के कारनामों मे लगाम लगी है, लेकिन इसके विपरित भू-माफिया शासकीयछोटे बडे झाड के जंगल मद की भूमि का खुलेआम बिना कलेक्टर कोरिया के अनुमति के ही विक्रय कर रहे है, इसमे राजस्व विभाग के अधिकारी, कर्मचारी, उप रजिस्टार बैकुण्ठपुर, पटवारी, दस्तावेज लेखकों की भूमिका रहती है। इसकी जानकारी भी राजस्व अधिकारी सहित कलेक्टर कोरिया को भी की गई है इसके बाद भी लगातार भू-माफिया शासकीय भूमि चेर, सलका, चेरवापारा, आनी, बोडार, मुरमा, जमगहना सहित अनेकों ग्राम है जहां शासकीय जमीन की बिक्री बिना कलेक्टर के अनुमति के ही बिक्री कर दी गई है। वर्तमान मे मुख्यालय से लगे ग्राम चेर मे शासकीय भूमि मे अरसठ डिसमिल जमीन नियमों को ताक मे रख कर छोटेबडे झाड की भूमि को फर्जी चौहद्दी बना कर बिक्रय कर दिया गया है। कलेक्टर कोरिया के द्वारा राजस्व विभाग को इस संबंध मे जांच का आदेश दिया गया है लेकिन महिनों बितनें के बाद भी जांच अधुरी पडी है। इसी का नतीजाहै कि मुख्यालय के मुख्य चौराहा फौहारा चौक के पास नजूल की भूमि 155/2 मे भू-माफिया के द्वारा अवैध कब्जा कर शासन-प्रशासन के नियमों को ताक मे रख कर भवन निर्माण कार्य करा लिया गया है। कलेक्टर कोरिया से शिकायत के बाद त्वरित कार्यवा हेतु बैकुण्ठपुर एसडीएम को निर्देशित किया गया है। इस मामले मे बैकुण्ठपुर एसडीएम के द्वारा नजूल अधिकारी व तहसीलदार को जांच के आदेश दिये है, आदेश प्राप्त होनें के पश्चात नजूल आर आई के द्वारा अवैध निर्माण का नपाई की गई है लेकिन 3500 वर्ग फूट की जगह आरआई पर दवाब बना कर महज 3000 वर्ग फूट ही नापी की गई है जबकि अवैध निर्माण 3500 वर्ग फूट मे किया गया है। नगर पालिका बैकुण्ठपुर मे उक्त भूमि ख.नं. 155/2 मे 1546 वर्ग फूट मे भवन बनानें की अनुमति प्राप्त है, वही एसडीएम बैकुण्ठपुर कार्यालय से व्यापवर्तन के लिए सात नियमों के तहत व्यापवर्तन की अनुमति दी गई है, लेकिन भू-माफिया के द्वारा व्यापवर्तन के लगभग समस्त नियमों की अवहेना करते हुए 1546 वर्ड फूट की जहग 3500 वर्ग फेट मे अवैध निर्माण किया गया है।

कलेक्टर कोरिया व एसडीएम बैकुण्ठपुर ने कहा होगी कार्यवाही

शहर के मुख्य चौक फौहारा चौक मे शासन-प्रशासन को करोणों का चुना लगाकर, नियमों को ताक मे रख कर अवैध शासकीय भूमि को कब्जा कर मकान निर्माण कराया गया है। इस संबंध मे कलेक्टर कोरिया व एसडीएम बैकुण्ठपुर को लिखित शिकायत की गई है जिस पर कलेक्टर कोरिया ने शासन-प्रशासन को करोणों रुपयों की छति पहूंचानें सहित व्यापवर्तन के नियमों को ताक मे रखकर अवैध निर्माण कार्य को देख कर राजस्व अधिकारी को तत्काल कार्यवाही का आदेश जारी किये है, बैकुण्ठपुर एसडीएम ने कार्यवाही भी प्रारम्भ कर दी है, नजूल आर आई के द्वारा अवैध निर्माण व शासकीय भूमि मे कब्जे का नाम कर तहसील कार्ययालय मे प्रतिवेदन जमा कर दिया गया है, आगे की कार्यवाही कब तक पुरी होगी इसका इंतजार शिकायतकर्ताओं को है।

जिला मुख्यालय मे अवैध निर्माण अधिकारी क्यों थे मौन

जिला मुख्यालय मे शहर मे मुख्य फौहारा चौक पर स्थित शासकीय भूमि मे अवैध कब्जा और नियमों को ताक मे रखकर अवैध निर्माण किया गया, इसकी शिकायत भी की गई, नजूल आरआई ने प्रतिवेदन बैकुण्ठपुर एसडीएम को सौंपा जिसमे कार्य बंद होनें की जारी थी लेकिन कार्य रुका ही नहीं था लगातार अवैध निर्माण जारी रहा। जिले के मुख्य अधिकारियों का आना जाना भी इसी रास्ते मे रहता है, इसके बाद भी नजर ना पडना शिकायत पर कार्यवाही नहीं करना समझ से परे रहा।

रोक लगनें के बाद भी होता रहा निर्माण कार्य

शहर मे मुख्य चौराहे पर हो रहे शासकीय भूमि मे अवैध कब्जा और अवैध निर्माण कार्य को प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों को लिखित शिकायत की गई थी जिसके पश्चात विभाग ने अवैध निर्माण पर रोक लगाई थी जिसका प्रतिवेदन आर आई के द्वारा एसडीएम कार्यालय को दिया गया की कार्य बंद है, लेकिन प्रतिवेदन मे भवन मे अवैध निर्माण कार्य बंद लिखा गया अधिकारियों को बतानें के लिए, लेकिन पूर्व मे जिस भवन मे अवैध निर्माण पर रोक लगाया गया था, कार्य बंद होनें का प्रतिवेदन दिया गया लेकिन वर्तमान मे कार्य प्रगति पर देखा जा रहा है, इसका यह कयाश लगाया जा सकता है की शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा व अवैध निर्माण कार्य कभी बंद ही नहीं हुआ था।