इस वर्ष थायराइड दिवस की थीम "ब्लड प्रेशर नियंत्रित करें एवं दीर्घायु हो

होम्योपैथी में है थायरोकोसिस का संपूर्ण उपचार

कानपुर (सिटी अपडेट /महेश प्रताप सिंह) . आरोग्यधाम ग्वालटोली में विश्व थायराइड दिवस की पूर्व संध्या पर होम्योपैथिक चिकित्सकों ने कानपुर वासियों को थायराइड के कारण उत्पन्न होने वाले दुष्प्रभाव एवं से बचाव के साथ-साथ जागरूक रहने के लिए बताया। मानव शरीर में थायराइड हार्मोन का संतुलन बिगड़ने से थायराइड रोग होता है इसका होम्योपैथिक चिकित्सा में संपूर्ण उपचार है। यह बात आरोग्यधाम के होम्योपैथिक चिकित्सक *डॉ हेमंत मोहन* ने चिकित्सकों को संबोधित करते हुए कहा जब टीएसएच लेवल बढ़ जाता है तो उसे हाइपोथायरायडिज्म एवं जब घट जाता है तो उसे हाइपरथाइरॉयडिज़्म कहते हैं। थायराइड की प्रकारों में से हाइपोथाइरॉएड जिसमें मरीज लगातार मोटा हो जाता है और उसके भार में वृद्धि हो जाती है। इसके दूसरे प्रकार हाइपर थायराइड में मरीज को भूख कम लगती है और वजन कम होता जाता है , मरीज प्रायः उलझन में रहता है उसमें रोने तक की प्रकृति होती है। ऐसे मरीजों को लक्षणों का समुचित अध्ययन कर उच्च गुणवत्ता वाली होम्योपैथिक दवा देने पर 3 से 4 महीने में आशातीत परिणाम के साथ टी एस एच लेवल नियंत्रित रहता है आरोग्यधाम की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आरती मोहन ने बताया कि जिन महिलाओं में थायराइड के लक्षण पाए जाते हैं उनमें गर्भधारण करने में अनेकों समस्याएं आती हैं। इनका होम्योपैथिक में समुचित एवं संपूर्ण उपचार संभव है। डॉ हेमंत मोहन ने बताया कि हर 6 से 8 महीने में थायराइड पैनल t3 t4 TSH नियमित रूप से जांच कराते रहना चाहिए । थायराइड के मरीजों को आयोडीन युक्त नमक का प्रयोग करते रहना चाहिए। ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस चिकित्सा पद्धति में परहेज बहुत जरूरी है । अचार, खटाई, नींबू, कथा आदि का प्रयोग वर्जित है। होम्योपैथिक दवाई नेट्रम आयोड, थाइरॉएडिनम, कैलकेरिया आयोड, लैकेसिस, स्पॉन्जिया एवं फास्फोरस का सेवन करने से बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं।